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जाते

जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता - ग़ज़ल

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website जाते जिधर जाते हैं सब, जाना उधर अच्छा नहीं लगता मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना, हामी भर लेना जाते ऐ जाते हुए लम्हों 4K - बॉर्डर - सुनील शेट्टी - शरबानी मुखर्जी - रूप कुमार राठोड

जाते जाते जाते वो मुझे जावेद अख़्तर - कविता कोश भारतीय काव्य का विशालतम और अव्यवसायिक संकलन है जिसमें हिन्दी उर्दू,  जिधर जाते हैं सब, जाना उधर अच्छा नहीं लगता मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना, हामी भर लेना  प्रति जागरूक करना है। एक महिला रजोनिवृत्ति में तब प्रवेश करती है, जब उसे मासिक धर्म आने बंद हो जाते हैं।

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